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सोमवार, 1 अप्रैल 2019

रीढ़ की हड्डी.. लघुकथा


  एक दिन नटवरलाल जी चलते - चलते दफ्तर में अचानक से गिर पड़े, तो दो चार क्लर्क उठाकर उन्हें अस्पताल ले गए. डॉक्टर ने जाँच करने के बाद कहा कि इनकी रीढ़ की हड्डी कमजोर हो गई है, प्रतिदिन तन कर चलने की कसरत करेंगे तो रीढ़ की हड्डी फिर से ठीक हो जाएगी. कहीं ये ज्यादा झुके- झुके तो काम नहीं करते ?

 तभी अचानक पास ही खड़ा उनका एक सह कर्मचारी दूसरे कर्मचारियों की ओर देखते हुए बोल पड़ा, "डॉक्टर साहब, काश यह गुण हममें भी होता.. आज हम भी इनके जैसे बड़े पद पर बैठे होते.
डॉक्टर साहब अवाक् थे.

सुधा सिंह 👩‍💻

(100 शब्दों की कहानी)

आनंद लीजिए 'रात की थाली ' का भी

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति ,कम शब्दों में बड़ी बात .....

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया शुक्रिया रितु जी. 🙏 🙏 🙏 सादर

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  2. उत्तर
    1. कहानी का मर्म समझकर प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया सखी 🙏. आभारी हूँ

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  3. इन स्नेहिल शब्दों के लिए आभारी हूँ शुभा जी.सादर 🙏 🙏 🙏

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