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बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

दोषी कौन ?.... लघुकथा

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                                           दोषी कौन



      समीर और उसकी पत्नी स्वाति प्रतिदिन होनेवाली कलह और झिकझिक के कारण घर से अलग होकर एक किराए के मकान में रहने लगे थे। परंतु शर्मा जी अपने बेटे और बहू के घर से अलग होने का पूरा दोष हमेशा अपनी बहू स्वाति व उसके मायके वालों पर लगाते रहते थे। गाहे- बगाहे फोन कर के अपने समधी और समधन जी को खूब खरी- खोटी भी सुनाया करते थे ।    

  एक बार संयोग कुछ ऐसा बना कि किसी रिश्तेदार की शादी में दोनों परिवारों की मुलाकात हो गई। नमस्कार वाली आपसी औपचारिकताएँ भी दोनों ओर से पूर्ण की गयीं।  

  उस समय स्वाति की डेढ़ साल की बेटी अपनी नानी की गोद में ही थी। शर्मा जी को उन्हें भला- बुरा कहने का एक और मौका मिल गया। भला इस सुनहरे मौके को वे हाथ से कैसे जाने देते! एक कुटिल मुस्कान फेंकते हुए अपने चिर- परिचित अंदाज़ में उन्होंने फिर तंज कसा, "क्यों भाभी जी, अपनी नातिन को गोद में खिलाने में कितना मज़ा रहा है न!" - अपने ससुर की यह बात सुनकर स्वाति मन ही मन खीझ गई! स्वाति की माँ को भी बहुत बुरा लगा।  

" हाँ भाई साहब! आप से बेहतर और कौन जानता होगा कि अपनी नातिन को अपनी गोद में खिलाने मेें कितना आनंद मिलता है! " स्वाति की माँ ने प्रिया की दो साल की नन्हीं मासूम बेटी की ओर इशारे करते हुए कहा जिसे उस समय शर्मा जी ने अपनी गोद में ही उठा रखा था। 

शर्माजी की भौंहे तन गईं। पर कुछ बोल न सके और चेहरे पर झूठी मुस्कान सजाए, वहाँ से चल दिये। आखिर वे बोलते भी तो क्या!! अपने पति और ससुराल वालों से झगड़ा हो जाने के कारण तलाक का नोटिस देकर उनकी बेटी प्रिया भी तो पिछले दो सालों से अपने मायके में ही बैठी थी। 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रिय सुधा जी | यही दोहरा चरित्र आज परिवारों और समाज में वैमनस्यता का प्रमुख कारण है | हम जो अपने लिए नहीं चाहते वैसा आचरण खुद करते हैं , जो आचरण दूसरों के लिए करते हैं उसे खुद पर लागू करने में बहुत हिचकते हैं | शर्मा जी भी वैसे ही हैं | सार्थक लघुकथा के लिए हार्दिक शुभकामनायें |

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    1. Renu Bala बहन समीक्षा के लिए ढेरों धन्‍यवाद. 🙏 🙏 🙏 आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार मुझे हमेशा रहता है.

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  2. वाह!!सुधा जी ,बहुत सुंदर व सटीक ...।

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