नियम था उसके गाँव में अपनी औरतों को पीटने का। विवाहोपरांत जब वह अपनी पत्नी के साथ गाँव लौटा तो उसने भी अपनी पत्नी को खूब पीटा ताकि लोग उसे ' मेहरा' न कहने लगे और सीना तान कर लोगों के सामने वह भी अपनी मर्दानगी का दिखावा कर सके ।
सफ़लता का गुमान लिए अब वह सारे गाँव में घूमता है।