गुरुवार, 21 मई 2020

याद नहीं रहा...




"तुमने मुझे सुबह 7 बजे मिलने का वायदा किया था।" 

 "ओह सो सॉरी, मुझे याद ही नहीं रहा।"

"रात के 8 बज रहे हैं प्रिया ; मई की इस भीषण गर्मी में भी पूरा दिन भूखा -प्यासा मैं तुम्हारा इंतजार करता रहा । मेरे हाथों के गुलाब मुरझा गए और तुम बस सॉरी.....।" 

"देखो प्रतीक, मैंने तुम्हें अपना इन्तजार करने के लिए कभी नहीं कहा;  अब फोन रखो और ख़बरदार जो आज के बाद कभी भी मुझे फोन करने की कोशिश भी की तो...." 
दूसरी ओर से आवाज आई-"ठक!!!
औऱ प्रतीक वहीं बिखर गया। प्यार के प्रस्ताव से पहले ही उसका दिल टूट गया था।

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